22-02-09  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

‘‘बर्थ डे पर फास्ट सो फर्स्ट डिवीजन में आने की गिफ्ट लेने के लिए हर श्वांस संकल्प समर्थ हो दिल बड़ी और सच्ची हो तो हर जरूरत पूरी होगी’’

आज जीरो बाप अपने हीरो बच्चों से मिलने आये हैं। आज का दिन आप सभी भी बाप का और बाप के साथ अपना भी बर्थ डे मनाने आये हैं। तो बापदादा सर्व बच्चों को चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे दिल के नजदीक बैठे हैं, चारों ओर के बच्चों को सर्व सम्बन्ध से मुबारक दे रहे हैं। उसमें भी विशेष तीन मुबारक बाप, शिक्षक और सतगुरू के रूप की तीन बधाईयां पालना, पढ़ाई और वरदानों की चारों ओर के बच्चों को विशेष दे रहे हैं। सभी बच्चों को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

आज इस विशेष जन्म को भक्त भी मनाते हैं लेकिन आप बच्चे जानते हो कि यह बर्थ डे बाप और बच्चों के अविनाशी स्नेह का जन्म दिन है। आदि से लेके बाप और बच्चे साथ हैं, साथ में विश्व परिवर्तन के कार्य में भी बाप बच्चों के साथ है, क्योंकि बहुत-बहुत बाप और बच्चों का स्नेह है। अभी भी साथ हैं और अपने घर जाना है तो भी साथ जाना है। बाप बच्चों के सिवाए नहीं जा सकता और बच्चे बाप के सिवाए नहीं जा सकते क्योंकि दिल के स्नेह का साथ है। घर के बाद जब राज्य में आयेंगे तो भी ब्रह्मा बाप के साथ-साथ राज्य करेंगे। तो सर्व जन्मों से यह जन्म सबसे प्यारा और न्यारा है। इस जन्म की जो वैल्यु है वह सारे कल्प में 84 जन्म में नहीं है, ऐसा स्नेही और साथ वाला विशेष यह हीरे तुल्य जन्म है। तो आप सभी अपना जन्म दिन मनाने आये हो या बाप का मनाने आये हो! कि बाप बच्चों का मनाने आये हैं और बच्चे बाप का मनाने आये हैं? चारों ओर भक्त भी शिव जयन्ती वा शिवरात्रि कहके मनाते हैं, बड़े प्यार से मनाते हैं बापदादा भक्तों को देख करके भक्तों को भी भक्ति का फल देते हैं। लेकिन आपका मनाना और भक्तों का मनाना फर्क है। वह रात्रि मनाते हैं और आप अमृतवेला मनाते हैं, अमृतवेला श्रेष्ठ वेला है। अमृतवेले ही बापदादा हर एक बच्चे को वरदानों से झोली भर देते हैं। सभी की वरदानों से झोली भरी हुई है ना! रोज वरदान वरदाता बाप से मिलता ही है। कितने वरदान आप एक एक बच्चे को बापदादा द्वारा मिले हैं, वह वरदानों से झोली भरी हुई है ना। तो सभी बड़े उमंग-उत्साह से पहुंच गये हैं। बापदादा भी बच्चों को देख बहुत-बहुत खुश हो रहे हैं और गीत गाते रहते वाह बच्चे वाह! बच्चे कहते वाह बाबा वाह! और बाप कहते वाह बच्चे वाह! क्योंकि जो भी बाप के बच्चे बने हैं वह सभी कोटों में कोई आत्मायें हैं। विश्व में कितनी कोट आत्मायें हैं लेकिन उनमें से आप बच्चों ने जिसको बाप कहते हैं लक्की और लवली बच्चे हैं उन कोटों में से कोई आप बच्चे हो। नशा है कि हमें कल्प कल्प के कोटों में कोई बच्चे हैं। कितने भी बड़े-बड़े मर्तबे वाले आत्मायें वर्तमान समय भी हैं लेकिन बाप को पहचान बाप का बर्थ डे मनाने वाले चारों ओर के पहचानने वाले बच्चे कोटों में कोई हैं। तो यह खुशी है कि हम कोटों में भी कोई हैं। नशा है! हाथ उठाओ। अविनाशी नशा है ना! कभी कभी वाला तो नहीं? सदा है और सदा ही रहेगा। माया पेपर तो लेती है, अनुभव है ना! माया का भी परमात्म बच्चों से ज्यादा प्यार है। लेकिन बच्चे जानते हैं कि माया का परमात्म बच्चों से आदि से अब तक सम्बन्ध है। माया और परमात्म बच्चे दोनों का आपस में कनेक्शन है, माया का काम है आना और आप बच्चों का काम क्या है? माया को दूर से भगाना। आने नहीं देना कि आने भी देते हो? नहीं। दूर से ही भगाओ। आने देते तो फिर उसकी आदत पड़ जाती है आने की। वह भी समझती है आने तो देते हैं ना, चलो। लेकिन बाप देखते हैं कि कई कई बच्चे माया को आने तो देते ही लेकिन खातिरी भी कर लेते, चाय पानी भी पिला लेते, पता है, कौन सी खातिरी करते हैं? माया के प्रभाव में आके यही सोचते कि अभी तो टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है, अभी तो समय पड़ा है। पुरूषार्थ कर रहे हैं, पहुंच जायेंगे। तो माया भी समझती है एक तो आने दिया, दूसरा यह तो हमारे को साथ दे रहे हैं, खातिरी कर रहे हैं, तो जो माया को पहचान लेते हैं क्योंकि कोई कोई बच्चे पहचानने में भी गलती कर लेते हैं, माया की मत है वा बाप की मत है, न पहचानने के कारण माया के प्रभाव में आ जाते हैं। लेकिन बापदादा अपने लक्की महावीर विजयी बच्चों को कहते हैं आने नहीं दो, अब आवे और फिर भगाओ, इसमें समय नहीं लगाओ क्योंकि समय कम है और आपका जो वायदा है, विश्व परिवर्तक बन विश्व सेवक बन विश्व की आत्माओं को बाप का परिचय दे मुक्ति का वर्सा दिलायेंगे, वह कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है। उस कार्य को समाप्त करने में समय लगाना, अगर माया को भगाने में समय लगायेंगे तो विश्व परिवर्तक का जो वायदा है वह पूरा कैसे करेंगे! बाप के साथी हैं ना, जन्म से ही वायदा किया है, साथ रहेंगे अब भी, साथ चलेंगे…इसलिए अभी जो बाप से शक्तियां मिली हैं उस शक्तियों के आधार से माया को दूर से भगाओ। इसमें टाइम नहीं लगाओ। देखो, 70 वर्ष पुरूषार्थ करते रहे हो, अभी माया का आना और भगाना, अभी इसका समय नहीं है क्योंकि जानते भी हो, नॉलेजफुल तो हो ना। सारे ड्रामा की नॉलेज है, इसीलिए नॉलेजफुल बच्चे अभी समय किसमें लगाना है, दो खज़ाने बहुत जमा करने हैं। कौन से दो खज़ाने?एक संकल्प और दूसरा समय। दोनों खज़ाने महान हैं और आप सब जानते हो क्योंकि नॉलेजफुल बाप के नॉलेजफुल बच्चे हो। मास्टर नॉलेजफुल हैं ना। फुल? पुल नहीं, कोई कोई नॉलेजपुल हैं, नॉलेजफुल नहीं हैं। आप कौन हो? नॉलेजफुल हो, हाथ उठाओ। नॉलेजफुल कि नॉलेजपुल। सभी नॉलेजफुल हैं? हाथ उठाया, अच्छा। वाह! फुल नॉलेज आ गई है। माया को भगाने की नॉलेज है? पीछे वालों को है? अच्छा। झण्डियां तो हिला रहे हैं। माताओं को है?मातायें नॉलेजफुल हैं? डबल फारेनर्स, डबल फारेनर्स भी झण्डियां हिला रहे हैं। अच्छा, देखो कितना अच्छा दृश्य लगता है। झण्डियां तो अच्छी लग रही हैं। तो नॉलेजफुल अर्थात् माया को दूर से भगाने वाले। तो ऐसे हो? क्योंकि बापदादा ने पहले ही कह दिया है कि खज़ाने जमा करने की बैंक सिर्फ इस समय संगमयुग में है फिर सारा कल्प जमा करने की बैंक नहीं मिलेगी। जो अब जमा किया, वह काम में लगता रहेगा। लेकिन जमा करने की बैंक अब संगमयुग पर खुलती है। इसीलिए क्या कहते हो आप, सभी को सन्देश में सुनाते हो ना, अब नहीं तो कब नहीं। तो आप सबको याद है ना! अब नहीं तो कब नहीं। सदा याद रहता है यह? क्योंकि संगमयुग का जन्म सबसे है छोटा सा लेकिन अमूल्य जन्म है। इस जन्म का मूल्य सारा कल्प चलता है। तो चेक करते हो, हमारा जमा का खाता कितना है? जितना चाहते हो उतना जमा होता है? क्योंकि बापदादा ने पहले ही कह दिया है कि अभी चलने का समय समाप्त हुआ। उड़ने का समय है। पुरूषार्थ का समय पूरा हुआ लेकिन अभी तीव्र पुरूषार्थ का समय है। वह भी थोड़ा है। इसलिए बापदादा डबल विदेशियों को टाइटिल दिया है डबल तीव्र पुरूषार्थी। बोलो, डबल तीव्र पुरूषार्थी हो, हाथ उठाओ। डबल तीव्र पुरूषार्थी, पास। अच्छा। बापदादा तो जन्म की मुबारक के साथ आपको बधाई भी देते हैं। पदम पदम गुणा बधाईयां हो, बधाईयां हो, बधाईयां हो।

 

बापदादा ने देखा जो बापदादा ने होमवर्क दिया था, ओ.के. का। वह कई बच्चों ने अटेन्शन दिया है। लेकिन 100 मार्क्स बहुत थोड़ों के हैं। 50 परसेन्ट वाले ज्यादा हैं। लेकिन बापदादा यही चाहते हैं, सुनाये क्या चाहते हैं? बापदादा की यही हर एक आशाओं के दीपक, आशायें सम्पन्न करने वाले महावीर बच्चों की यही बाप की आशा है कि समय अनुसार अगर अब से बहुतकाल का चार्ट तीव्र पुरूषार्थ का जमा नहीं किया तो तीन शब्द बापदादा समय प्रति समय याद दिलाता है एक अचानक, दूसरा एवररेडी और तीसरा बहुत समय का खाता जमा क्योंकि बापदादा चाहते हैं कि अपने राज्य में, अभी तो खुशी है ना अपना राज्य आया कि आया। जैसे अभी सन्देश देते हो बाप आया है, ऐसे यह भी खुशखबरी सुनाते हो कि अपना दैवी राज्य सुख शान्तिमय राज्य आया कि आया। जब सबको यह सन्देश देते हो तो अपना पुरूषार्थ भी तीव्र बहुत समय का जमा करने वाला अपने राज्य में अन्त तक फर्स्ट जन्म से 21 जन्म फुल राज्य भाग्य के अधिकारी बनें। यह हिसाब बहुतकाल से स्मृति में रखो क्योंकि मजा नये घर में है। अगर दो तीन जन्म के बाद आये, दो तीन मास मकान को हो जाएं तो क्या कहेंगे, नया है या 3 मास हो गया है। तो बापदादा चाहते हैं कि एक एक बापदादा का लाडला बच्चा वाह वाह बच्चा, बाप के दिलतख्तनशीन बच्चा, पहले जन्म में ब्रह्मा बाप के साथी होके आये। पसन्द है! पसन्द है? पसन्द है? अच्छा। तो क्या करना पड़ेगा? करना भी तो पड़ेगा ना। पसन्द तो है, बाप को भी पसन्द है लेकिन करना क्या पड़ेगा? अब से, चलो बीती सो बीती, बापदादा माफ कर देंगे, बीती। अब से बर्थ डे की सौगात बाप को क्या देंगे? कुछ तो सौगात देंगे ना बाप को। बाप का जन्म दिन मनाने आये हो, तो बाप को सौगात क्या देंगे? जो बाप की आशा है हर एक बच्चे में, लास्ट में फास्ट हो सकते हैं। जो पहले बारी आये हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा।

तो बापदादा सभी लास्ट आने वाले बच्चों को, पहले बारी आने की पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। लेकिन एक भाग्य भी बता रहे हैं, भाग्य बनाने की मार्जिन है क्योंकि टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है। अगर कोई लास्ट भी फास्ट पुरूषार्थ करे लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं, फर्स्ट नम्बर नहीं, वह तो प्रसिद्ध हो गये हैं, लेकिन फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हैं। पसन्द है? आने वाले नये बच्चों को पसन्द है? चांस है, बापदादा सीट दे देंगे लेकिन कुछ करना भी तो पड़ेगा। एक-एक श्वांस, एक-एक संकल्प अटेन्शन, हर श्वांस, हर संकल्प समर्थ हो। व्यर्थ न हो क्योंकि आप सबका चाहे पहले वालों का, चाहे पीछे वालों का लेकिन टाइटिल क्या है? समर्थ बच्चे हैं, कमज़ोर बच्चे नहीं। बापदादा यादप्यार क्या देते हैं? रोज़ का यादप्यार लाडले, सिकीलधे, दिलतख्तनशीन बच्चे, इसलिए बाप यह गोल्डन चांस दे रहा है लेकिन वाले लो। बाप देगा, बंधा हुआ है। है कोई तीव्र पुरूषार्थी। चांस है। टूलेट का बोर्ड लग गया फिर फिनिश। लेकिन बापदादा को जन्म की सौगात क्या देगी? जन्म उत्सव मनाने आये हो ना! बापदादा ने तो आप बच्चों के जन्म दिन पर आप सब बच्चों को विशष सौगात दी है कि 90 परसेन्ट आपका तीव्र पुरूषार्थ आज से अन्त तक अगर है तो 10 परसेन्ट बापदादा बढ़ा के देगा। मंजूर है। अभी व्यर्थ खत्म। जैसे देखो सतयुग के देवतायें आते हैं ना, तो उन्हों को पता नहीं यहाँ की भाषा क्या बोलते हैं। पुरूषार्थ शब्द कहेंगे ना, तो वो कहेंगे पुरूषार्थ क्या, क्योंकि प्रालब्ध वाले हैं ना। ऐसे आप तीव्र पुरूषार्थियों को स्वप्न में वा संकल्प में वा प्रैक्टिकल कर्म में व्यर्थ क्या होता है, उसकी समाप्ति हो। है हिम्मत? 10 परसेन्ट बाप ग्रेस में देंगे। है मंजूर। हाथ उठाओ। कितना परसेन्ट पक्का? 100 परसेन्ट, नहीं 101 परसेन्ट, क्योंकि बापदादा को बच्चों के बिना, बच्चों के साथ के बिना अच्छा नहीं लगता। बाप समझते हैं जब मेरा बाबा कह दिया, बाबा ने कह दिया मेरा बच्चा, तो बाप समान तो बनना पड़े। अभी दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। आप लोगों ने किताब छपाया है ना। सफलता की चाबी है दृढ़ संकल्प। तो संकल्प को कामन नहीं करो। आप हो कौन? अगर यहाँ का प्रेजीडेंट रिवाजी चलन चले तो अच्छा लगेगा, और आप कौन हो? आप तो तीन तख्त के निवासी हो। सबसे बड़ा तख्त बापदादा का दिलतख्त। तो दिलतख्त वाले पहले जन्म के साथी तो बनेंगे। भले तख्त पर एक बैठेगा लेकिन रॉयल फैमिली राज्य अधिकारी तो बन सकते हो। तो साथ निभाने वाले, घर तक तो साथ चलेंगे। बापदादा कैसे भी ले जायेंगे। वाया ले जाये या डायरेक्ट ले जाये लेकिन ले तो जायेंगे। तो क्या फिर घर में बैठ जायेंगे, ब्रह्मा बाप चला जायेगा और आप बैठ जायेंगे, अच्छा लगेगा? राजयोगी हो ना! क्या टाइटिल देते हो अपने को और दूसरे को भी क्या सिखाते हो? राजयोग या प्रजा योग? चाहे रॉयल प्रजा भी हो लेकिन प्रजायोगी तो नहीं हो। राजयोगी हो। तो सभी को बाप की आप सब बच्चों के प्रति दी हुई सौगात याद रहेगी? कब तक? अन्त तक। बापदादा ने देखा पुरूषार्थ बहुत करते हैं, बापदादा जब देखते हैं बच्चे मेहनत बहुत कर रहे हैं तो बच्चों की मेहनत देखकर बाप को अच्छा नहीं लगता है। इसीलिए मुहब्बत में रहो तो मेहनत खत्म हो जायेगी। मेरा बाबा, तो और मेरा खत्म। जब मेरा बाबा कहा तो अनेक मेरा उसमें खत्म हो गया ना। एक खिलौना लाते हो ना एक में एक, एक में एक होता है। एक में 10- 12 समा जाते हैं, खिलौना बताते हो तो एक मेरा बाबा, मेरा बाबा कहने वाले हो ना। मेरा बाबा है ना! महारथियों का बाबा तो नहीं। मेरा बाबा। जब मेरा बाबा है तो हद का मेरा तेरे में समा लो। मेरे के बजाए तेरा कहो, कितना फर्क है। मेरा और तेरा कितना फर्क है? मे और ते। एक शब्द का फर्क है। तो पक्का है ना मेरा बाबा। पक्का है, कितना परसेन्ट? 100 परसेन्ट, 100 एक? ऐसे एक अंगुली उठाओ। जो 101 कहते हैं, वह उठाओ। बापदादा देख रहे हैं। टी.वी. में भी देख रहे हैं।

तो अभी शिवरात्रि शिवजयन्ती मनाते हैं तो इसमें विशेष तीन बातें मनाते हैं। कमाल तो बापदादा यह विधियां यह उत्सव मनाने वाले जो कापी की है उसको भी बधाईयां दे रहे हैं। विशेष 3 बातें मनाते हैं एक तो व्रत पालन करते हैं। आप लोगों को कापी किया है लेकिन अल्पकाल का। आप लोग भी जब से बाप के बने तो दो व्रत धारण किये। एक पवित्रता का सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं ब्रह्माचारी। कई बच्चे क्या करते? मुख्य बड़े बड़े विकारों का व्रत तो रख देते लेकिन छोटे छोटे जो हैं ना उसको छोड़ देते हैं लेकिन छोटे महा-बलि हो जायेंगे। छोटे कम नहीं होते। समय पर धोखा देने वाले छोटे होते हैं। जैसे चूहा होता है ना है तो छोटा लेकिन काटने में नम्बरवन है। फूंक भी देता है तो काटता भी है जो पता ही नहीं पड़े। तो छोटे छोटे विकार कई बच्चे क्रोध को समझते हैं यह तो होता ही है करना ही पड़ता है। तो क्या उसको सम्पूर्ण आत्मा कहेंगे? बाल बच्चों सहित छोटे मोटे सहित व्रत धारण किया कि हम सदा के लिए पवित्र रहेंगे। किया है ना वायदा? कि एक ब्रह्मचर्य का व्रत लिया है? आपका टाइटिल क्या है? सम्पूर्ण निर्विकारी मर्यादा पुरूषोत्तम यही टाइटिल है ना? कि थोड़ी थोड़ी मर्यादा कम। तो जो समझते हैं कि हमने मेरा बाबा कहा मेरा बाबा में सबने हाथ उठाया जब मेरा बाबा कहा तो बाप समान तो बनना पड़ेगा ना। बस एक मात्रा का फर्क करो जहाँ मेरा आवे ना वहाँ तेरा याद रखो। एक शब्द का फर्क याद रखने से तीन तख्त के निवासी बनेंगे। तो एक व्रत सदा के लिए पवित्रता मर्यादा पुरूषोत्तम का आपने सदा के लिए धारण किया वह एक दिन के लिए करते हैं कापी तो की है लेकिन आटे में नमक समान की है। फिर भी की तो है। बुद्धिवान तो हैं ना! और दूसरा व्रत रखते हैं खानपान का। तो आप सबने भी शुद्ध भोजन का व्रत रखा है ना। कापी तो की है ना। आपने भी पूरा किया है या कभी थक जाते तो कहते अच्छा कुछ खा लो। ऐसे तो नहीं? थक जाओ या तंग हो यूथ वाले क्या करते हैं? जो कुमार हैं वह हाथ उठाओ। कुमार। अच्छा। बहुत अच्छा। कुमारियां हाथ उठाओ। फारेनर्स में कुमारियां लाइट वाली कुमारियां हैं (सिर पर छोटा बल्ब लगाया है) कुमारों ने पूरा व्रत निभाया है कि कभी थक जाते हैं? कुमार जो आते ही अभी भी विधि पूर्वक खानपान का व्रत निभाते हैं वह हाथ उठाओ। पास हैं अच्छा मुबारक हैं। आपको पदमगुणा मुबारक हैं। मेहनत तो थोड़ी लगती है लेकिन बाप के प्यार में यह मेहनत नहीं मुहब्बत है। तो देखो कापी तो की है ना। व्रत रखते हैं एक दिन के लिए। और आप व्रत रखते हो जीवन के लिए। एक जीवन का व्रत सदा आपेही चलता है। फिर मेहनत नहीं करनी पड़ती। एक जन्म छोटा सा इसमें मेहनत जरूर है त्याग है। त्याग का भाग्य बनता है और साथ में क्या करते हैं? जागरण। आपने कौन सा जागरण किया है? वह नींद का त्याग करते हैं आपने भी अज्ञान की नींद का त्याग किया है कि अज्ञान की नींद को बिना समय के नींद को आने नहीं देंगे। झुटके नहीं खायेंगे। ऐसे ऐसे नहीं। ऐसे। लिया है ना व्रत यह भी। कईयों की आदत होती है ऐसे ऐसे करने की। बापदादा कहते हैं त्याग किया दृढ़ संकल्प किया तो फिर फिर दृढ़ संकल्प ढीला क्यों करते हो? स्क्रू टाइट करना नहीं आता है? इसको टाइट करने का स्क्रू ड्राइवर है प्रतिज्ञा। अभी जो कार्य रहा हुआ है कौन सा रहा हुआ है? बोलो। प्रत्यक्षता का। इसका ही पुरूषार्थ कर रहे हो ना। मेरा बाबा आ गया यह झण्डा क्यों लहराते हो? कोई भी कार्य करते हो झण्डा लहराते हो। आज भी झण्डा लहरायेंगे ना। किसका झण्डा लहरायेंगे? बापदादा का सेवा का बर्थ डे का झण्डा लहरायेंगे। जैसे झण्डा लहराते हो तो जब तक पूरा खुले नहीं तब तक खोलते रहते हो। समाप्ति झण्डे की तब तक होती है जब तक फूल नहीं बरसा है। तो आप भी प्रत्यक्षता क्या चाहते हो? बाप की प्रत्यक्षता हो। तो जितनी जागरण की व्रत लेने की प्रतिज्ञा पक्की करेंगे तो प्रत्यक्षता जल्दी से जल्दी होगी। तो प्रत्यक्षता चाहते हो ना! तो समय को समीप लाने वाले कौन? आप सब हो ना! समय को समीप लाने वाले आप सच्चे सेवाधारी बच्चे हो। विश्व परिवर्तक बच्चे हो। तो बर्थ डे की सौगात मंजूर है! देना भी लेना भी दोनों बताई। सिर्फ देनी नहीं है लेनी भी है। हाथ उठाओ जो दोनों करेंगे। जो दोनों करेंगे? अच्छा। बहुत अच्छा। अच्छा। यह आपका चित्र इसमें आ रहा है। (टी.वी.में) तो जो कुछ थोड़ा फेल होगा ना उसको यह चित्र भेज देंगे। फिर से हाथ उठाओ। यहाँ निकल रहा है। अच्छा। अच्छा है तो मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

बापदादा के पास चारों ओर से पदम पदमगुणा मुबारकें पहुंच गई हैं। हर एक दिल में कहता वा पत्र में लिखता वा ईमेल करता तो हमारी मुबारक सबसे पहले हो। तो बापदादा कहते हैं कि बापदादा ने सबकी मुबारक पहले पहले स्वीकार की है। नम्बर नहीं लगाया है सबकी इकट्ठी दिल की मुबारक स्वीकार कर ली। देखो दूर वाले जो देख रहे हैं वह भी ताली बजा रहे हैं। और चारों ओर मुबारक मुबारक के गीत बज रहे हैं दिल में। यह गीत नहीं दिल के गीत बिना मेहनत के खुशी हुई और स्टार्ट हो जाते हैं। खुशी दिल के गीतों की चाबी है। वाह बाबा मीठा बाबा कहा यह चाबी है। है ना चाबी? कभी कभी चाबी नहीं। सदा खुश। बापदादा को कोई भी बच्चे का चेहरा बोल या कर्म थोड़ा भी चिंतन वाला चिंता वाला व्यर्थ संकल्प वाला दुविधा वाला चेहरा देखते हैं ना तो अच्छा नहीं लगता। भगवान के बच्चे अगर सदा खुश नहीं रहेंगे तो कौन रहेंगे! आप ही हो ना। चेहरा कभी भी चिंता वाला नहीं शुभचिंतन। जब चिंता आवे ना किसी भी प्रकार की तो बाप मेरे कम्बाइण्ड है चिंता बाप को दे दो शुभचिंतक आप बन जाओ। क्योंकि बापदादा सदा हर्षित रहते हैं ना तो बच्चे मुरझाये हुए हों किसके बच्चे हैं? भगवान के। चेहरा कभी भी चाहे पहाड़ आ जाए लेकिन पहाड़ को भी आप रूई बना सकते हो। बाप के साथ अपने को जोड़ लो तो क्या हो जायेगा? जो पहाड़ है वह रूई हो जायेगा क्योंकि सर्वशक्तिवान को साथ कर दिया ना। आप भले कमज़ोर हो लेकिन सर्वशक्तिवान आपके साथ कम्बाइण्ड है तो समय पर काम में लगाओ। कहने तक नहीं काम में लगाओ। तो सदा खुशनुमा चेहरा और दिल सदा खुशनसीब। बापदादा चैलेन्ज करे कि अगर खुशनसीब खुशनुमा चेहरा देखना हो तो भगवान के सेन्टरों पर देखो करें चैलेन्ज। करें चैलेन्ज? कभी मुरझाना नहीं पड़ेगा। क्यों मुरझायें? कोई कमी हो तो मुरझाओ। क्या कमी है? खुशी की खुराक मानों आपको कमी है कोई भी हेल्थ की वेल्थ की तो खुशी के लिए क्या कहते हैं? खुशी जैसा कोई खज़ाना नहीं। तो वेल्थ हुआ ना। है वेल्थ आपके पास। खुशी है? हाथ उठाओ। खुशी है ना! तो वेल्थ है। और खुशी जैसा कोई भोजन नहीं खुशी जैसी कोई खुराक ही नहीं है चाहे 36 प्रकार की भोजन हो लेकिन खुशी नहीं तो सूखा। और खुशी है तो सूखी रोटी 36 प्रकार का सुख देगी और बाप का वायदा भी है जो सच्ची दिल साफ दिल बड़ी दिल। तीन बातें याद रखो सच्ची दिल साफ दिल बड़ी दिल यह तीनों बातें अगर याद रहें तो कोई भी समय दुनिया की हालतें कैसी भी हों लेकिन तीन ही बातें याद हैं तो आप सबको दाल रोटी बाप खिलायेगा। दो चार सब्जी नहीं खिलायेगा। दाल रोटी खिलायेगा। दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ। अनुभव किया है ना! पुराने जो पहले पहले आये हैं उन्होंने अनुभव कर लिया है। कभी भूखे रहे? और ही जो गुड़ है ना उसको बोर्नवीटा बनाके बापदादा हाथ से खिलाता था। और बापदादा के हाथ से रोटी खाते सबका पेट भर गया। बोर्नवीटा बनाने आता है नहीं आता?कैसी भी हालत हो यह गुड़ सब्जी नहीं हो दाल नहीं हो यह बोर्नवीटा बहुत सुख देता है बनाने सीख जाओ। सभी यहाँ सीख के जाना। आईवेल में यह बोर्नवीटा बहुत काम में आयेगा। लेकिन चार बातें याद करना। ऐसे नहीं एक भी बात कम होगी तो ढूंढना पड़ेगा सहज नहीं मिलेगा। इसलिए चेक करो चार ही बातें हैं - सच्चाई तन की मन की धन की सम्बन्ध सम्पर्क की दिल की सच्चाई दिल बड़ी। दिल बड़ी होती है तो जो भी इच्छा होती है जरूरत होती है वह पूर्ण हो ही जाती है। करके देखो। जहाँ दिल बड़ी है ना वहाँ सब इच्छायें हो जाती हैं। दिल छोटी करेंगे तो सब क्रियेशन छोटी हो जाती। बाप राजी तो क्या कमी है। तो पुरूषार्थ करो। तो फिर मुबारक की तालियां बजाओ।

सेवा का टर्न कर्नाटक ज़ोन का है 8 हजार कर्नाटक से आये हैं:- अच्छा। टीचर्स भी काफी है। सभी टीचर्स को बापदादा खास बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं। क्यों खास दे रहे हैं? क्यों? क्योंकि ऐसे योग्य बनाया है जो यज्ञ सेवा के योग्य हो सके क्योंकि यज्ञ सेवा का चाहे 10 दिन है चाहे 11 दिन हैं लेकिन अगर यज्ञ सेवा अपने विधि पूर्वक विधान पूर्वक किया तो यज्ञ की सेवा के 11 दिन 11 जन्म प्राप्त होता है। इसलिए यज्ञ सेवा का पुण्य वर्तमान समय जैसे अभी आपको खुशी हो रही है ना है ना खुशी एकस्ट्रा खुशी। मधुबन में पहुंचना अर्थात् एकस्ट्रा खुशी का खज़ाना मिलना। तो ऐसे योग्य बनाकर लाये हैं पुरूषार्थ कराया है इसीलिए टीचर्स को मुबारक हो। और मातायें मातायें हाथ उठाओ ज़ोन वाली मातायें भी बहुत हैं। माताओं को भी मुबारक है क्यों? क्योंकि मातायें मधुबन तो सम्भालते हैं लेकिन सेन्टर्स भी सम्भालती हैं। बापदादा आदि से कहते हैं कि जहाँ सेन्टर पर मातायें हैं वहाँ भण्डारा और भण्डारी सदा भरती रहती है। अच्छा उन्हों को विशेष मुबारक। और पाण्डव जो अधरकुमार हैं वह हाथ उठाओ। अधरकुमार देखो आपकी भी एक विशेषता है जैसे माताओं की विशेषता है वैसे अधरकुमारों की भी विशेषता है। क्यों? क्या विशेषता है? क्योंकि जो दोनों आते हैं एक दो के साथी हैं कोई विघ्न नहीं है एक मत हैं। नहीं तो दो मत में फिर भी खिटखिट होती है लेकिन जब दोनों एक मत हो जाते हैं तो अधरकुमार सेवा में बहुत आगे जाते हैं। समय निकाल सकते हैं। यूथ भी समय निकालते हैं लेकिन अधरकुमार डबल काम करते हैं। कौन सा डबल काम करते हैं? एक जो विश्व की सेवा है उसमें समय ज्यादा दे सकते हैं और दूसरा अपने धन को भी जितना चाहें उतना सफल कर सकते हैं क्योंकि दोनों राजी हैं। तो अधरकुमार जितना अपना जमा करना चाहें सफल करना चाहें उतना कर सकते हैं क्यों कारण? कोई विघ्न नहीं। मन का विघ्न और बात है लेकिन सम्बन्ध का विघ्न नहीं। इसीलिए आप लोगों का भी यज्ञ में विशेष पार्ट है। और अधरकुमार कुमारियों को देख वृद्धि बहुत जल्दी होती है। प्रैक्टिकल देखते हैं ना कि सब वर्ग वाले आते हैं परिवार में भी रहते हैं सब कुछ करते हुए भी अपना भाग्य बना सकते हैं पहले जो वायुमण्डल था कि घरबार छुड़ाते हैं डर था और अभी समझते हैं कि डबल काम कर सकते हैं और मदद मिलती है। समझा। अच्छा।

80 देशों के 1200 डबल विदेशी आये हैं:- डबल फारेनर नहीं कहो डबल तीव्र पुरूषार्थी। पसन्द है ना टाइटिल। डबल फारेनर्स तो कामन है। वह तो बहुत डबल फारेनर हैं। बापदादा को फारेनर्स के लिए खुशी होती है कि फारेनर्स मधुबन का श्रृंगार बन गये हैं। देखो इण्डिया के भिन्न भिन्न देशों से आते हैं तो फारेनर्स कम क्यों हो इसमें भी अच्छी रेस की है। 80 देश तो आ गये हैं। तो बापदादा एक बात में मैजारिटी को देख करके खुश है कि जो भी आते हैं वह अभी एक कल्चर वाले हो गये हैं। सभी एक ब्राह्मण कल्चर वाले हैं। हैं ना! हाथ उठाओ। अभी विदेश की कल्चर वाले नहीं सब ब्राह्मण कल्चर वाले। आये थे तो भिन्न भिन्न कल्चर वाले आये थे लेकिन कल्चर को भी पार कर लिया यह बड़ी दीवार थी लेकिन इस बड़ी दीवार को क्रास कर लिया है अभी लगता ही नहीं है कि यह कोई अलग हैं। अभी उठके देखे टी.वी. में सब ब्राह्मण कल्चर वाले। अच्छा लगता है ना एक ही कल्चर। जैसे शुरू में बच्चे आये थे तो भिन्न भिन्न वृक्ष की टालिंयां आई थी अपने अपने घरों से अपने वालों के साथ आये थे। लेकिन बापदादा ने शुरू में ही कहा कि आप भिन्न भिन्न वृक्ष की डालियां आई हो लेकिन यहाँ एक चंदन के बृक्ष मे समा जायेंगी। एक चंनद का वृक्ष बनेगा। आदि में आने वाले बच्चे आदि रत्न एक चंदन का वृक्ष बनें तब तो चंदन की खुशबू फैलाई। विदेश तक भी पहुंची ना। तब तो आये। तो विदेशी भी भिन्न भिन्न कल्चर में आये लेकिन अभी एक कल्चर। पसन्द है ना!पसन्द है हाथ उठाओ। कभी मुश्किल तो नहीं लगता। हाँ काम काज में रंगीन डे्रस पहनते हो वह तो एलाउ है बापदादा को फारेनर्स की एक बात और भी अच्छी लगती है कौन सी? जो सेवा के निमित्त हैं सेन्टर सम्भालते हैं उन्हों की विशेषता है। खाना भी अपना तैयार करते क्लास भी कराते जिज्ञासु भी सम्भालते और बाहर का जॉब भी करते भारत के बच्चे जब शुरू में गये तो क्या देखा? विशेषता देखी वहाँ ही क्लास पूरा हुआ सात दिन का आटा गूंद के रखेंगे ब्रेड बनाके रखेंगे क्लास पूरा हुआ जो कुछ दूध में डालने की भिन्न भिन्न चीज़ें अच्छी मिलती है वह खाके और भागे। तो सब काम फुर्त बनके किया और वृद्धि की पहले सिर्फ एक लण्डन था लण्डन वाले हाथ उठाओ। लण्डन वाले एक से अनेक हो गये ना। इसीलिए बापदादा ने टाइटिल दिया है डबल पुरूषार्थी। और फारेन की सेवा ने और धर्म वाले भी तैयार किये हैं। क्रिश्चियन तो हैं ही लेकिन मुस्लिम देश में भी कितने छिपे हुए बच्चे निकले हैं और आगे बढ़ रहे हैं। और तरीके से कर रहे हैं। बापदादा ने बच्ची को याद किया था। क्या नाम था? जो सेन्टर खोल रही है - (वजीहा बहन)। और नैरोबी वाले भी अच्छी कर रहे हैं। वह भी निकाल रहे हैं। तो टाइटिल पसन्द है ना। डबल पुरूषार्थी। हैं? डबल पुरूषार्थ है। अच्छा। निमित्त बनी हुई टीचर्स ने मेहनत अच्छी की है। इसलिए बापदादा सभी निमित्त टीचर्स को भी विशेष बधाई दे रहे हैं। अभी तो मेहनत का फल खा रहे हैं। पहले भी सुनाया है कि बापदादा का विश्व कल्याणकारी का टाइटिल विदेश सेवा से हुआ है। तो विशेष अलग अलग देश से पधारे हुए बच्चों को अपने देश वासियों सहित जो ब्राह्मण परिवार के हैं उस सहित पदम पदमगुणा मुबारक बर्थ डे की हो। और विशेष बापदादा को यह पसन्द है कि सब इकट्ठे होके विशेष मीटिंग करते हैं आर.सी.ओ. एन सी ओ जो भी हैं आपस में इकट्ठे होके सारे वर्ष का प्लैन बनाते हैं और मधुबन के वायुमण्डल में बापदादा और विशेष निमित्त ब्राह्मणों की शुभ भावना शुभ कामना लेके जाते हैं तो इसकी रिजल्ट बहुत अच्छी है। बापदादा जो चाहता था कभी चाहता था लेकिन अभी वह रिजल्ट सामने आ रही है। इसकी भी मुबारक हो। तो बापदादा वाह बच्चे वाह! लवली बच्चे वाह! लक्की बच्चे वाह! वाह वाह का गीत गाके मुबारक दे रहे हैं।

वर्ग वाले जो भी आये हों वर्ग वाले जो वर्ग वाले अपनी मीटिंग कर रहे हैं ना। मीटिंग भले करो मीटिंग करना चाहिए। क्योंकि बापदादा ने जो कहा है वह अभी किया नहीं है। इसलिए मीटिंग करनी चाहिए और जैसे बापदादा ने कहा कोई भी स्थान पर इकट्ठे करो मालूम तो पड़े कि वर्गीकरण के कनेक्शन वाले सहयोगी स्नेही कितने निकले हैं और कौन से निकले हैं? बाकी अच्छा है चला रहे हो चलाते रहो। अच्छा।

चारों ओर के बापदादा के दिलतख्तनशीन बच्चों को चारों ओर के तीव्र पुरूषार्थी बच्चों को चारों ओर के बापदादा ने जो गिफ्ट दी उस गिफ्ट को स्वीकार करने वाले और जो बच्चों ने बापदादा को गिफ्ट दी संकल्प से उस संकल्प को सदा दृढ़ करने वाले ऐसे दृढ़ पुरूषार्थी प्रतिज्ञा कर प्रत्यक्षता करने वाले सर्व बच्चों को बापदादा का बहुत-बहुत दिल का दुलार और दिल का यादप्यार स्वीकार हो और सभी बच्चों को बार बार बधाई, बधाई, बधाई।

दादियों से:- आपस में बैठे सभी ने अपने अपने विचार दिये विचार तो भिन्न भिन्न होंगे लेकिन विचारों को समझ रिगार्ड दे एक दो में स्पष्ट करना। बिना स्पष्ट किये अन्दर नहीं रखें। अन्दर रखने से किचड़ा हो जाता है। कोई भी चीज़ अगर अन्दर रखो और सफाई नहीं करो तो क्या होता है? तो आप निमित्त जो बच्चे हैं उनको बापदादा कहते है मुरब्बी बच्चे पाण्डव भी हैं लेकिन जो निमित्त हैं वह मुरब्बी बच्चे मुरब्बी बच्चों का संगठन बहुत जल्दी सभी को बहुत उमंग उत्साह में लाता है। बापदादा देख रहा है सभी ने अच्छा संकल्प किया है कि हमें सभी को नचाना है। जो बापदादा ने चार बातें कही ना वह एक एक में लानी हैं। अगर चार बातें मैजारिटी में आ गई तो समय आया कि आया। तो निमित्त आप हो सब समझें कि यह 10-12 नहीं एक हैं। और बापदादा देखते हैं कि सभी को दिल में यह संकल्प है ऐसी कोई बात नहीं है कि नहीं है। लेकिन इसी संकल्प को बढ़ाते जाओ। और आपके सब साथी हैं। अच्छा। (मोहिनी बहन मुन्नी बहन इन्दौर ज़ोन का चक्कर लगाकर आई हैं) कहाँ भी कोई भी महारथी चक्कर लगाये तो रिफ्रेश तो होते ही हैं और भी होते रहेंगे अच्छा है।

(जानकी दादी के सिर पर बापदादा ने हाथ रखा) बापदादा का हाथ सभी के ऊपर आता है। यह विशेष निमित्त है यह ग्रुप निमित्त है इसलिए विशेष है। सिर कभी भारी होता ही नहीं है बाबा कम्बाइन्ड है ना। (भागीरथ के मस्तक पर हम गंगायें हैं) यह पाण्डव भी गंगायें हैं तब तो सेवा करते हैं। अच्छा।

एल एण्ड टी के वाइस प्रेजीडेंट - मखीजा भाई तथा उनके परिवार से:- बापदादा ने देखा कि जो संकल्प किया उसको पूर्ण करने की हिम्मत अच्छी रखी और हिम्मत वालों को बाप की एकस्ट्रा मदद मिलती है। सुना हिम्मत रखी ना। हो गया ना। अभी हर बात में हिम्मत नहीं हारो। क्या करें नहीं। करना ही है। क्या करें कहते हैं ना तो और विघ्न पड़ते हैं करना ही है तो सब हट जायेंगे। जैसे मच्छर आते हैं तो धूप जगाते हैं तो मच्छर भाग जाते हैं। तो यह माया की बातें आती हैं लेकिन आप हिम्मत का धूप जगाओ तो मच्छर क्या करेंगे? भाग जायेंगे। यह हिम्मत वाली है सहयोग की पात्र बनी है। तो मदद आपकी हिम्मत इसकी। बापदादा समझते हैं कि पुरूषार्थ में आगे बढ़ेंगे दोनों एक दो को साथ देने वाले हो इस विशेषता ने यहाँ तक पहुंचाया अच्छे हैं। अच्छा।

मुन्नी बहन के भाई-भाभी से:- मुन्नी बहन के भाई बहन हो वह ठीक है लेकिन बापदादा कहते हैं लकी हो लवली भी हो लकी भी हो। अपना भाग्य बना दिया। देखो (बच्चे को देखकर) यह कितना अच्छा शक्ल है फोटो निकालें ऐसा ही रखना। अच्छा किया। इसके मददगार बनना माना बाप के कार्य में मददगार बनना। यज्ञ सेवा कितना पुण्य है कितनों का पुण्य होता है बहुत लकी हो। बहुत अच्छा।

डाक्टर अशोक मेहता से:- बापदादा ने देखा हॉस्पिटल में भी चक्कर लगाने आते हैं, तो हिम्मत आप निमित्त वालों की हिम्मत अच्छी है, इसलिए आपको आफर आती है, जो हिम्मत वाले बनते हैं उन्हों को मदद आटोमेटिकली मिलती है तो आपको आफर आती है यह हिम्मत की निशानी है। अच्छा है। (युगल - शिरिन बहन, बेटी-सोनल बहन) आपके दिल की मजबूती ने इनको चलाया है। निमित्त बनी हो। परिवार को चलाया। और कभी पुरूषार्थ में विघ्न नहीं आता। विघ्न को भगाने वाली हो, यह हिम्मत वाले हैं, बहुत हिम्मत है। थोड़ों की हिम्मत से आफर आती है, यह बापदादा को बहुत अच्छा लगता है। आपेही आफर आवे, तो यह हिम्मत का फल है। और आप साथी हैं। कुछ न कुछ करते रहते हो ना। यह इसमें साथी हैं। परिवार ही लकी है।

(दादी गुल्जार की सेवा में जो बहिनें निमित्त रही उनको बापदादा ने स्टेज पर बुलाया) जिन्होंने भी रात जागकर सेवा की उन सबको मुबारक। रथ को तैयार किया ना। बहुत अच्छा। गुप्त हो थोड़ा प्रत्यक्ष हो जाओ। साथी बनो।

बापदादा ने अपने हस्तों से ध्वज फहराया

आज के जन्म दिन की मुबारक तो बापदादा ने दे ही दी है, यह झण्डा सदा ऊंचा रहे, और सब आत्माओं के दिल में लहराये, यही आप सबके दिल का संकल्प है, और यही सन्देश सभी तरफ देते हो कि अभी बाप आया है और वर्सा लेने के लिए बाप के पास आ जाओ। यह सन्देश देते देते आखिर वह दिन आयेगा जो सब कहेंगे हमारा बाबा आ गया। वर्सा देने आ गया। और आप सभी को अपने हिम्मत के दृष्टि द्वारा मुक्ति का वर्सा दिलायेंगे तो आप सबके दिलों में झण्डा लहराना है, अभी वह दिन भी आया कि आया। ओम् शान्ति।

डबल विदेशी बहिनों से:- बापदादा आपके संगठन को देख खुश है। (डा.निर्मला दीदी को ज्ञान सरोवर में मनोहर दादी के स्थान पर स्थाई रूप से नियुक्त किया गया है) इसने जिम्मेवारी का ताज पहन लिया हिम्मत रखी उसके लिए विशेष मुबारक। (बापदादा ने सिर पर हाथ रखा)। हिम्मत बहुत अच्छी रखी।

आप लोगों की जो रीति है ना मिलने की वह बापदादा को अच्छी लगती है और आपके संगठन को देखके जो गायत्री और दूसरी जूडी है ना इनको भी बापदादा ने याद किया। गायत्री ने अच्छी हिम्मत दिखाई लौकिक परिवार को और आसपास जो भी सुनते हैं उनको एक्जैम्पुल दिखाया तो समय पर आप कैसे मददगार बन सकते हैं और बच्चा (अंकल) भी बहुत योगयुक्त है और बच्चे को खास खास बापदादा शक्तियों की किरणें देते हुए यादप्यार दे रहे हैं। सारे परिवार को यादप्यार। (पहली बार शिव जयन्ती पर नहीं हैं) इसलिए बापदादा ने उन्हों को याद किया है।

मीटिंग का रूप बदलता जा रहा है अच्छे ते अच्छा हो रहा है। इन्डिया वाले भी मिक्स हो रहे हैं यह बहुत अच्छा। आप लोगों ने हिम्मत रखी तो मददगार हो रहे हैं और होते रहेंगे इसलिए चलाते चलो। तो बापदादा खास जो निमित्त बने हैं उन्हों को मुबारक दे रहे हैं। बढ़ते रहो बढ़ते रहेंगे।

(लण्डन के महेश भाई ने खास याद दी है) समय समय पर डायरेक्शन प्रमाण जो सफल करता है उसको सफलता मिलती है। तो निश्चयबुद्धि अच्छा परिवार है और सदा आगे बढ़ते रहेंगे। पालना भी तो कितनी अच्छी है तो पालना का रिटर्न दे रहा है। टोली भेज देना।